अनुपमा
खुशबू सी बिखरती तेरी मुस्कान है, फ़लक तक
झिलमिलाती है नभ की आभा, तेरे ओंठो से पलक तक
सौंदर्य की क्या तारीफ करें, तुम सितारों की झलक हो
अनुपमा हो तुम, तेरी उपमा की अप्सराओ को ललक है ||
रक्त तृप्त तेरे ओष्ठो से प्रतिबिंबित रश्मि से जीवन का प्रभात है
तेरे प्रकाश में ही केवल, मेरा जीवन प्रारंभ और समाप्त है
कल्पना में तुम हो और सचाई में , तेरा रूप हर जगह है
भूल कैसे सकता तुम्हे, जब सब तेरे रंग में ही रंगा है ||
नदी के बहते जल सा मचलता हुआ तेरा मन है
जैसे धूप में चमकता निर्मल सुन्दर श्वेत वसन है
मासूमियत है तेरे हर एक अंग में समायी है
अनुपमा हो तुम, तुम जैसी रब ने एक ही बनायीं है ||
नेत्र में स्पष्ट दिखती, हृदय की सरलता है
तेरे कहे हर शब्द में मकरंद सी मधुरता है
तेरी एक पुकार में बर्फ क्या पत्थर भी पिघलता है
अनुपमा हो तुम, पूर्णता तुम्हारी ही संकल्पना है ||
झिलमिलाती है नभ की आभा, तेरे ओंठो से पलक तक
सौंदर्य की क्या तारीफ करें, तुम सितारों की झलक हो
अनुपमा हो तुम, तेरी उपमा की अप्सराओ को ललक है ||
रक्त तृप्त तेरे ओष्ठो से प्रतिबिंबित रश्मि से जीवन का प्रभात है
तेरे प्रकाश में ही केवल, मेरा जीवन प्रारंभ और समाप्त है
कल्पना में तुम हो और सचाई में , तेरा रूप हर जगह है
भूल कैसे सकता तुम्हे, जब सब तेरे रंग में ही रंगा है ||
नदी के बहते जल सा मचलता हुआ तेरा मन है
जैसे धूप में चमकता निर्मल सुन्दर श्वेत वसन है
मासूमियत है तेरे हर एक अंग में समायी है
अनुपमा हो तुम, तुम जैसी रब ने एक ही बनायीं है ||
नेत्र में स्पष्ट दिखती, हृदय की सरलता है
तेरे कहे हर शब्द में मकरंद सी मधुरता है
तेरी एक पुकार में बर्फ क्या पत्थर भी पिघलता है
अनुपमा हो तुम, पूर्णता तुम्हारी ही संकल्पना है ||