बस इसका ही तो सुकून कि आप साथ हो इस रस्ते पे |
मंजिल की उम्मीद तो ना जाने कब छोड़ दी थी हमने ||
अपनी खूबसूरती तुम क्या जान पाओगे ऐ हसीन
आखिर आईने की भी तो एक हद होती है ||
आपके प्यार का कुछ ऐसा असर हुआ , बिन होश हम कुछ कहते रहे |
वोह तो आपके हुस्न की काबिलियत थी , जिसने उसे शायरी बना दिया ||
आँखों से कह दिया तुने जो जुबाँ कह न सकें,
तेरी पूजा कर ली मैं , जब मिल हमसे रब न सकें,
बिना कहे दिल की बात समझ ले तू ताकि कहना न पड़े,
जन्मो के बंधन निभा ले अभी , ताकि फिर से जन्म लेना न पड़े |
तुम्हारी बातों की मधुरता के सामने, सीमित लगे यह मधुर रात्रि भी
तेरे संग बिताये पलो के सामने, लगे संपूर्ण जीवन भी क्षण मात्र सी
सुशोभित है नभ में चन्द्र, किन्तु वो तो कभी घटता - बड़ता है |
तुम्हारा रूप तो पूर्णिमा केवल, हर दिन नया निखरता है ||
तेरे जीवन के हर साँस पर गीत नए मैं लिखता था
तेरे नेत्रों के क्षोरो पर संग जीने के ख्वाब नित बुनता था
तेरे अधरों के गहराई में, मेरे प्राणों को आधार मिला
तेरे केशो की कृष्णता में, मेरे जीवन का सप्त रंग झलकता था
======================================================
तेरे जाने के बाद तो , वक़्त थम सा गया है,
गम कैसे छुपाये जब आँखों में ही पानी है |
तुझे देखे बिना तो सदिया बीती, लेकिन
तेरी छवि आँखों में कल जीतनी पुरानी है ||
एक आंसू काफी है खुशियों के युगों को भुलाने के लिए
एक मोहब्बत काफी है, जिंदगी से मोहब्बत मिटाने के लिए ||
पेड़ो के हर वर्तिकाग्रो से निकलती नयी शाखाये , हर पल बहता पानी
हर कोने से अब निकलती है नयी कहानी , हर मोड़ पे बदलती जिंदगानी ||
==================================================
चाहते जिसे हम हमेशा से थे, दूर वोह ही कर गए हमें
अपना मानते जिन्हें अपने पराये ही कर गए वोह
मेरे दिल को मेरे दिल से दूर करके
मेरे दिल ने ही मेरा दिल जला दिया
शमा हो या ही परवाना
बुझ जाना है किसी को या जल जाना
कब ख़तम हो जाये कौन सा किस्सा कहा , लेकिन जीना तो
वही जब दिल-ए -जहाँ का मिल जाना
कमजोर न समझ, मस्तिष्क ! मुझे
कोमल हुआ तो क्या शत अश्वो का बल रखता हूँ
रक्त देख पिघलता हूँ तो क्या , मैं हृदय हूँ
रक्त से ही खोलता भी मैं ही हूँ
No comments:
Post a Comment